I am really grateful for the copy of the journal KHOJ GANDHIJI KI, Jan-Jun. 2018. I was reminded of my visits to Jalgaon, and the meetings which had with Shri. Bhawarlal Jain ji. We used to have intimate talks about how to take up activities for spreading Gandhian thought in today’s time. I am really happy to see the journal copy. I am particularly happy to read the articles about Kasturba.I send my deep appreciation for the contents of the Journal. With regards to everyone working for the Gandhi Research Foundation
- Y. P. Anand
Former Director, National Gandhi Museum, New Delhi
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In the October - November 2019 issue, Ashwin Zala’s poem “I am Gandhi Teerth” was superb. Each stanza is appealing. I hope he continues to write such impressive pieces. The programme on the Mahatma by the differently-abled children was very inspiring. A very good theme indeed.
- D. K. Oza,
Chennai
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आपके द्वारा प्रेषित भारत की एक मात्र सर्वश्रेष्ठ पत्रिका खोज गाँधीजी की प्राप्त हो रही है। पत्रिका में आपकी बुद्धि का कमाल शोधपूर्ण श्रेष्ठ सामग्री जो पठनीय संजोकर रखने व स्मरण के लिए श्रेष्ठमय है। जैसी पत्रिका का प्रकाशन आपके कुशल ज्ञानवान संपादन में हो रहा है, श्रेष्ठ है। प्रशंसनीय है। पत्रिका में जो लेख सामग्री पढ़ने को मिलती है खोजबीन ज्ञानपूर्ण जानकारी है।
- डॉ. रामसिंह यादव,
संपादकीय सलाहकार - ऋषि मुनि, उज्जैन, मध्यप्रदेश
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‘खोज गाँधीजी की के बारे में दक्षा बहन का अभिमत
(दक्षा बहन ने आखिरी में अपनी प्रतिक्रिया लिख रखी थी, किंतु वह भेज नहीं सके। उनके जाने के बाद, उनकी भांजी कालींदिनी बहन ने हमें प्रेषित किया।)
यह पत्रिका एक विचार का प्रतिनिधित्व करती है और यह विचार गाँधी विचार है, इसमें एक शोध का प्रयत्न हैं। वास्तव में गाँधीजी क्या है इसकी खोज है, इसमें आते हुए लेख सचमुच वैज्ञानिक दृष्टि से लिखे हुए प्रामाणिक लेख हैं। अपने नाम को सार्थक करती हुई इस पत्रिका में गाँधी विचार से अतिरिक्त गाँधीजी के जीवन की अनेक बातों को जैसे गाँधीजी के बारे में अनेक भ्रांतियां फैली है, उनका स्पष्टीकरण करती हैं और वास्तव में घटनाएं क्या थी उसका दर्शन कराती हैं। इसलिए उसमें गाँधी विचार के उपरांत गाँधी जीवन का भी विचार हैू। विचार की गुणवत्ता और चिंतन की गहराई के कारण इस पत्रिका में उत्तम पत्रिका के गुण दिखाई दे रहे हैं।
- दक्षा बहन पट्टणी,
भावनगर (गुजरात)
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Thank you for sending this impressive issue of Khoj Gandhiji ki. Every good wish to you and your associates at GRF, Jalgaon. A place about which I have been hearing for quite a while without managing to visit it.
- Rajmohan Gandhi
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Your January to June 2018 issue of ‘Khoj Gandhiji Ki’ was very good. I particularly liked your editorial about Kastruba. I am glad you pointed out that very often we criticize great people of the past without caring for their achievements. Keep giving us such editorial and articles.
- प्रकाश
नवी मुंबई (2018-07-14)
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“ Gandhi Research Foundation has brought the Mahatma close to the people. The museum is unique in many ways. It has used modern technology very effectively and it touches the heart directly. One needs to think out of the box and this experiment falls under it. The aim of the museum needs to convince the people about the futility of war. It conveys the message of non–violence in an effective manner. Thank you GRF for an excellent work. ”
- Devendra Oza
Chennai
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प्रिय महोदय,
खोज गाँधीजी की पत्रिका पाकर मुझे बहुत ही प्रसन्नता होती है। मैं बड़ी उत्सुकता से इस पत्रिका का इंतजार करता हूँ।
मैं आपका इस पत्रिका को भेजने के लिए हृदय से आभार प्रकट करता हूँ।
- मोहनलाल,
पटियाला (पंजाब)
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प्रिय अश्विनभाई, खोज गाँधीजी की को उदयोपांत पूरा पढ़ लिया है। इस छोटी सी पत्रिका की सामग्री ऊँचे स्तर की संयोजित की गई है। गाँधीजी के निर्बल के बल राम पढ़ने के बाद अनेक पाठकों को चिंतन करने की प्रेरणा दी होगी। गाँधी फाउण्डेशन की गतिविधियों के बारे में पढ़कर आनंद हुआ कि फाउण्डेशन अपने विशेष सोच के अनुसार अपने शैक्षणिक अभ्यासक्रम अथवा युवा कैम्प्स का आयोजन कर रहा है। गांँधी फाउण्डेशन देश भर से लोगों को जोड़ने, प्रेरणा देने व उन्हें सक्रिय करने में जुटा है, यही तो बड़े भाऊ स्व. भवरलाल जैन चाहते थे।
- राधा भट्ट,
कौसानी, उत्तराखंड
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आदरणीय अशोकभाई, सस्नेह नमस्कार। खोज गाँधीजी की दिसंबर 2017 पढ़कर खुशी हुई। अपने स्वार्थ पर नियंत्रण मनुष्य की सोच बदलने पर आ सकता है। ... मालकियत विसर्जन कि कल्पना विनोबा जी के भूदान ग्रामदान कल्पना में समाविष्ट है। गाँधीजी के ट्रस्टीशीप की कल्पना में भी यही भूमिका है। जब मजदूर को मालिक का दर्जा दिया जाए और मालिक अपने आपको उनका स्वामी न समझे - तभी यह संभव होगा। यह अश्विन झाला ने कहा बिलकुल सही है। उसके लिए आज युवा साथियों को गाँधी विचार - अहिंसक क्रांति के लिए मानवीय सांस्कृतिकक्रांति के लिए प्रवृत्त करना आवश्यक है।... खोज गाँधीजी की यह सत्य व अहिंसा मूल्यों को समर्पित पत्रिका उपयुक्त है। हम साने गुरुजी विद्यालय, मेरीखेडा, महावीर विद्या मंदीर, यवतमाल इन दोनों स्कूलों में गाँधी विचार परिक्षाएँ लेते है। और शिक्षकों के साथ खोज गाँधीजी की त्रैमासिक पत्रिका के संपादकीय और लेख पढ़कर चर्चा-गोष्टियांँ आयोजित करते है।
- सुहास सरोदे, मंगला सरोदे,
यवतमाल
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Jay Jagat, I am happy to have your journal and appreciate your article including the editorial coverage. I took a print out of the journal and placed in our news rack for the people visiting our organisation as well our associates to follow the journal. With regards
- Aditya Patnaik,
Convenor, Sarvodaya Samaj
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खोज गाँधीजी की पत्रिका हमें मिली। सत्य, अहिंसा, त्याग ये महात्मा गाँधीजी की ही प्रेरणा है। आप और हम इस विचार से प्रेरित है। संपादकीय में अश्विन झाला लिखते है शाश्वत सामाजिक रचना में अपना योगदान दे। हम इस विचार के समर्थक है। निर्बल में बल राम, भारत छोडो आंदोलन, आज की समाज रचना संबंधित लेख व फाउण्डेशन की गतिविधियाँ बहुत ही सराहनीय है। आप सबको साधुवाद।
- डॉ. जगदिश चंद्र,
लेखक, सोलापूर 413001
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आदरणीय संपादक जी, खोज गाँधीजी की पत्रिका का अंक मिला अत् से इति तक पढ़ा। बापू से संबंधित एवं फाउण्डेशन की विविध रचनात्मक प्रवृत्तियों के संबंध में काफी नई जानकारी जानने का अवसर मिला। संपादन-शैली भी प्रभावकारी लगी। आपके गाँधी रिसर्च फाउण्डेशन के अश्विन झाला का लेख मैंने गाँधी को देखा पढ़ते ही मेरे दिमाग में भी एक तरह की झनझनाही हुई और मेरे विद्यार्थी अवस्था के एक प्रसंग का दृश्य का अहसास हुआ।
- रमणिकभाई तुरखिया,
भूतपूर्व डायरेक्टर, गाँधी दर्शन, गाँधी स्मृती
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आदरणीय सम्पादकजी, प्रणाम आपके कुशल सम्पादन में खोज गाँधीजी की नियमित प्राप्त होती है। आप इस पत्रिका के माध्यम से एक महान कार्य कर रहे हैं। वास्तव में गाँधीजी एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक सोच है, एक दर्शन है और एक सशक्त विचारधारा है। जो भारतीय संस्कृति की आस्था की पुष्ट करती है और इसे आगे बढ़ाती है। आज के सन्दर्भ में गाँधीजी और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। जब समूचा विश्व युद्ध के संकट से जूझ रहा है, तब बड़े से बड़ा लक्ष्य अहिंसा से प्राप्त किया जा सकता है। सम्पादकीय में आपने गाँधीजी के विचार और उनकी अहिंसात्मक मानव समाज की अवधारणा को बड़े स्पष्ट और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है। पत्रिका के लेख और फाउण्डेशन की गतिविधियां ज्ञान परक हैं। आशा है अधिक से अधिक लोग इनसे प्रेरणा लेंगे और अपने आदर्श बनाएंगें। आपके प्रयास को नमन। शुभकामनाओं के साथ।
- डॉ. मंगल प्रसाद,
सम्पादक-भाषा स्पंदन, कर्नाटक हिंदी अकादमी, 853, 8 वाँ ब्लॉक, कोरमंगला, बैंगलूर - 560095.
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महोदय, खत के प्रारंभ मे मैं, महान गाँधीविद् स्वर्गीय भवरलालजी जैन को मेरी ओर से भावभिनी श्रद्धांजलि अर्पण करता हूँ और उनके आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करता हूँ।आपके द्वारा भेजे गए त्रैमासिक खोज गाँधीजी की की प्रती प्राप्त हुई। धन्यवाद।यह त्रैमासिक सभी वाचकों के लिए उपलब्ध हो, इस हेतु मैं यह मासिक हमारे ग्रंथालय विभाग में अग्रेषित कर रहा हूँ। स्नेह,आपका भवदीय।
- डॉ. संजय देशमुख,
कुलपति, मुंबई यूनिवर्सिटी, मुंबई. 2016
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प्रिय भाई,खोज गाँधीजी की प्रति प्राप्त हुई। धन्यवाद।इस पत्रिका के उच्चतम स्तर के लेखों के लिए मैं आपका विशेष अभिनन्दन करती हूँ। जलगाँव आने की मेरी बहुत इच्छा है। यदि संभव हुआ तो एक बार वहाँ अवश्य आऊंगी। मंगलकामनाओं सहित,
- तारा गाँधी भट्टाचार्य,
डायरेक्टर, कस्तूरबा गाँधी राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट, नई दिल्ली
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आदरणीय महोदय, आपके त्रैमासिक खोज गाँधी की (वर्ष-3, अंक-3, जुलाई-सितम्बर 2014) प्रति मिली, बहुतबहुत धन्यवाद।गाँधी रिसर्च फाउण्डेशन समय-समय पर अपने सार्थक एवं रचनात्मक आयोजनों के माध्यम से देश के सुविख्यात गाँधीवादी विचारकों, शिक्षाविदों, दार्शनिकों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, पत्रकारों आदि को जोड़ने का सराहनीय काम कर रहा है और गाँधी रिसर्च फाउण्डेशन का त्रैमासिक प्रकाशन खोज गाँधी की भी गाँधी-चेतना के प्रचार-प्रसार में संलग्न है, जिसके लिए गाँधी रिसर्च फाउण्डेशन, आप और प्रकाशन से जुड़े सभी सहयोगी बधाई के पात्र हैं।
- श्रीमती रज़िया सुल्तान, संस्थापक-अध्यक्षा, महात्मा गाँधी
जन-कल्याण समिति, मध्यप्रदेश, भोपाल
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महोदय, खत के प्रारंभ मे मैं, महान गाँधीविद् स्वर्गीय भवरलालजी जैन को मेरी ओर से भावभिनी श्रद्धांजलि अर्पण करता हूँ और उनके आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करता हूँ।आपके द्वारा भेजे गए त्रैमासिक खोज गाँधीजी की की प्रती प्राप्त हुई। धन्यवाद।यह त्रैमासिक सभी वाचकों के लिए उपलब्ध हो, इस हेतु मैं यह मासिक हमारे ग्रंथालय विभाग में अग्रेषित कर रहा हूँ। स्नेह,आपका भवदीय।
- डॉ. संजय देशमुख,
कुलपति, मुंबई यूनिवर्सिटी, मुंबई. 2016
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